ऐसे बढ़ रहा है बिजली के बिल का बोझ
देशभर में केबल टीवी सेवा का 2014 तक डिजिटलीकरण करने का लक्ष्य कहीं देश
और खुद आपके ऊपर भारी न पड़ जाएं। दरअसल, डिजिटलीकरण के तहत घरों में लगने
वाले सेट टॉप बॉक्स काफी अधिक बिजली की खपत करते हैं।
इससे न सिर्फ आपके घर का बिजली का बिल बढ़ता है, बल्कि देश पर बिजली का बोझ भी बढ़ता है। यह खपत तब और बढ़ जाती है जब टीवी कंपनियों से लेकर डीटीएच और केबल ऑपरेटर ग्राहकों को टीवी चालू नहीं होने पर भी सेट टॉप बॉक्स का स्विच चालू रखने (स्टैंड बाई मोड) की सलाह देते है। डिजिटलीकरण के इस छिपे नुकसान को देखते हुए बिजली क्षेत्र से जुड़े संगठन सरकार से ग्राहकों को जागरूक करने की अपील कर रहे हैं। नेशनल रिसॉर्स डिफेंस काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार सेट टॉप बॉक्स को जब चालू किया जाता है तो वह शुरू होने में कुछ समय लेता है। वहीं जब बॉक्स स्टैंड बाई मोड में होता है तब इसके अंदरूनी पार्ट्स जैसे ड्राइव्स, ट्यूनर्स आदि चालू रहते हैं, जो काफी बिजली की खपत करते है। दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड के पूर्व निदेशक बीपी दत्ता ने कहा कि यह बिजली की खपत नहीं है, बल्कि क्षति है, क्योंकि इसमें बिजली का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसेंसी यानी बीईई भी यही बात कहती है। अनुमान के अनुसार देश के चार महानगरों में डेढ़ करोड़ घरों में लगे सेट टॉप बॉक्स सालाना 90 करोड़ यूनिट अतिरिक्त बिजली की खपत करते हैं। माना गया है कि ये सेट टॉप बॉक्स दिन में 16 घंटे चालू या फिर स्टैंड बाई मोड में रहते हैं। इसका मतलब हुआ कि इन डेढ़ करोड़ बॉक्सों को चलाने में देश पर अतिरिक्त 150 मेगावाट बिजली का बोझ पड़ेगा। देश भर में डिजिटलीकरण लागू होने के बाद बॉक्स की संख्या लगभग 14 करोड़ हो जाएगी और तब बिजली की खपत कई गुणा बढ़ जाएगी। बीपी दत्ता कहते हैं कि अगर बिजली की बर्बादी को रोकना है तो ग्राहकों को जागरूक करना होगा कि अगर आप बॉक्स को ऑन रखेंगे तो बिजली का बिल ज्यादा आएगा। इसके लिए सरकार को भी जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। |
Thursday, 12 April 2012
‘पुरुष’ सुंदरी के लिए खुले मिस यूनिवर्स के दरवाजे | |
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मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के आयोजकों
को आखिरकार अपने नियमों में परिवर्तन करना पड़ा है। इस बदलाव के बाद
कनाडाई सुंदरी जेना तलाकोवा 2013 की मिस यूनिवर्स कनाडा प्रतियोगिता में
भाग ले सकेंगी। पिछले हफ्ते आयोजकों ने तलाकोवा को प्रतियोगिता में भाग
लेने की इजाजत देने से इंकार कर दिया था, इस पर हंगामा हुआ।
असल में 23 वर्षीया तलाकोवा का जन्म एक पुरुष के रूप में हुआ था, लेकिन चार साल पहले वह लिंग परिवर्तन चिकित्सा के द्वारा युवती बन गई थीं। तलाकोवा ने आयोजकों के इंकार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा था कि उनके पास कनाडा का पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस है, जिसमें उन्हें महिला बताया गया है। ऐसे में आयोजक कैसे उन्हें महिलाओं की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रोक सकते हैं? आयोजकों का तर्क था कि नियमानुसार ‘प्राकृतिक रूप से जन्मी’ लड़कियां ही प्रतियोगिता में भाग ले सकती हैं। इस विवाद में दुनिया भर के समलैंगिक संगठनों से मिस यूनिवर्स के आयोजकों का जोरदार विरोध किया। अंतत: आयोजक झुके और नियम बदला। इसके बाद अब 2013 से मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता वे ‘ट्रांसजेंडर’ मुकाबले में उतर सकेंगी, जो लिंग परिवर्तन के बाद पुरुष से महिलाएं बनी हैं। ट्रांसजेंडर सुंदरियां कई वर्षों से इस नियम में बदलाव की मांग कर रही थीं। प्रतियोगिता में भाग लेने की जिद पर अड़ी तलाकोवा कहना था कि मैं मुकाबले में हिस्सा लेना चाहती हूं। अपनी विशेष स्थिति के लिए मैं किसी प्रकार की छूट नहीं मांग रही हूं। सौंदर्य के जो पैमाने सबके लिए होंगे, वे मेरे लिए भी होंगे। |
अब 17 पिछड़ी जातियां बन जाएँगी अनुसूचित
यू पी में सपा की सरकार बनते ही महत्वपूर्ण फैसले लेना शुरू कर कर दिए है, और हो भी क्यूँ न क्यूंकि मुख्यमंत्री युवा अखिलेश जो है, लेकिन हर फैसला सब के हित में नहीं हो सकता है, किसी को ख़ुशी तो किसी को निराशा हाथ लगती है/
यू पी में भी फिलहाल एक मुद्दे पर विचार चल रहा है, और वो मुद्दा है पिछड़ी जातियों को अनुसूचित में शामिल करना/ वो जातियां हैं, कहार, कश्यप, केवट, निषाद, बिन्द, भर, प्रजापति,राजभर, बाथम, गौर, तुरा, माझी, मल्लाह, कुम्हार,धीमर और मछुआ/ हाँ ये एक ऐसा मुद्दा है जहाँ न्याय करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अगर हम बात करें पिछड़ी जातियों की तो इनकी संख्या लगभग ७६ है और आरक्षण 27 % है, वहीँ दूसरी ओर अनुसूचित जातियां उसमे भी लगभग 65 जातियां है और आरक्षण है 22.5 % तो अगर बात की जाए यू पी सरकार के फैसले की तो पिछड़ी 76 जातियों में से 17 निकलकर अनुसूचित में जाती है तो पिछड़ी में बचती है 59, तो इसका मतलब पहले से अब पिछड़े बर्ग को नौकरी में थोड़ी कम प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी, वहीँ अगर बात करें अनुसूचित की 65 जातिओं में 17 जोड़ दी जाये तो होती हैं 82 मतलब साफ़ है अब प्रतिस्पर्धा का ग्राफ बाद जाएगा, और अनुसूचित जातियों में भी तनाव की स्तिथि बन्ने की संभवना है/
आखिर कब तक जातियां आरक्षण के लिए लड़ती रहेंगी, जबकि जातिबाद का श्रेय जाता है, हमारे देश की बढती हुई जनसँख्या को, क्योंकि जनसँख्या का भार बढता ही जा रहा है, और लोगों में अभी भी जागरूकता का आभाव है, और जागरूकता तभी आ सकती है जब इसके लिए शिक्षा को बढावा दिया जाए क्योंकि आज भी लगभग 67 % जनसँख्या गाँव में निवास करती है और वहां लोगों में इतनी जागरूकता नहीं है, वहां एक - एक परिवार में काफी बच्चे होते है और जाहिर सी बात है की इंसान किसी न किसी जाती से तो संबध तो रखता ही है, और फिर बात आती है, उनकी शिक्षा से लेकर नौकरी तक में आरक्षण की तो, मतलब साफ़ है की लोगों को अपने से सुधार शुरू करना होगा वरना आने वाले समय में पार्को में घुमने और शौचालय उपयोग करने के लिए भी आरक्षण की जरूरत पड़ेगी/
Tuesday, 10 April 2012
अब यूं पी बोर्ड के छात्र पा सकेंगे 90 से 95 % अंक
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् ने एक बहुत ही लाभकारी घोषणा की है, उसके अंतर्गत अब यूं पी बोर्ड के बच्चे भी पा सकेंगे अन्य बोर्ड के बच्चो जितने अंक / इस योजना में जो मूल्यांकन व्यवस्था है उसमे थोडा परिवर्तन किया गया है, क्योंकि गणित एक ऐसा विषय है उसमे बच्चे शत प्रतिशत अंक प्राप्त कर सकते है, और अगर छात्र ने महनत की तो उसे इसका अधिकार भी है/ ऐसा ही अन्य विषयों के मूल्यांकन में पारदर्शिता लायी जाएगी जिससे की प्रतिभावान छात्र को ऐसा न लगे की उसे महनत के अनुकूल अंक नहीं मिले है/
पिछले कुछ वर्षों से यू पी बोर्ड के छात्रों का प्रतिशत सीमित ही चला आ रहा है, जिसके कारण छात्र छात्राओं को प्रवेश से लेकर नौकरी तक में बहुत दुबिधाओं का सामना करना पड़ता है/ इस प्रस्ताव से यू पी बोर्ड और अन्य बोर्ड्स के बीच जो एक असमानता व्याप्त थी , वो लगभग पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी, और रही बात इंग्लिश जैसे विषय की तो वो टाइम गुजर गया जब यू पी बोर्ड के छात्र इंग्लिश से कतराते थे, यहाँ तक की हर तरह की नौकरी में यू पी बोर्ड के छात्रो का बोलबाला है/
प्रतिशत में सुधार होने की वजह से छात्रो में कुंठा, द्वेष की भावना नहीं रहेगी, इससे उनके मानसिक स्तिथि में भी काफी सुधार होने की आशा है/
Monday, 9 April 2012
संगीत से होगा उपचार
जटिल रोगों की तकलीफ या रोग से ही निजात पाने के लिए गीत संगीत एक कारगर
उपचार सिद्ध होने वाला है। बंगलुरू के स्वामी सच्चिदानंद मूर्ति का कहना
है कि कुछ राग या रागों का मिश्रण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, अस्थमा और इसी
तरह के जटिल रोगों में अचूक उपचार साबित हो रहे हैं। स्वामीजी ने अपने
केंद्र में विभिन्न रोगों के लिए कुछ संगीत रचनाएं तैयार कीं और उन्हें
जरुरतमंदों तक पहुंचाया भी है।
स्वामीजी का कहना है कि संगीत का सेवन प्रत्यक्ष रूप में अर्थात् साज और गायकी के जरिए किया जाए तो बेहतर है। न हों तो कैसेट सीडी आदि इलेक्ट्रानिक उपकरणों का भी सहारा लिया जा सकता है। इन उपकरणों के नतीजे बहुत अच्छे तो नहीं निकलेंगे क्योंकि खुद किए गए अभ्यास में अपना पूरा अस्तित्व लगता है। जीभ, तालु, होंठ, कंठ आदि अंगों की सक्रियता शरीर में जो प्रभाव उत्पन्न करती है, वह यांत्रिक संगीत से नहीं हो पाती। लेकिन उससे भी संगीत का थोड़ा बहुत उपचारात्मक प्रभाव तो होता ही है। इधर स्वास्थ्य विज्ञानियों और चिकित्सकों ने भी संगीत की उपचार क्षमता की पुष्टि की है। राजधानी स्थित बॉडी माइंड क्लिनिक पिछले छह महीनों से संगीत चिकित्सा शुरू हुई है। क्लिनिक के प्रमुख व होलिस्टिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ आर के तुली के अनुसार इस पद्धति का रोगियों पर चमत्कारिक असर हुआ है। संगीत चिकित्सा मेटाबॉलिज्म को तेज करती है, उससे मांसपेशियों की ऊर्जा बढ़ाती है। भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी संगीत की उपचार क्षमता पर कई अध्ययन अनुसंधान हो रहे हैं। मुंबई के एक अस्पताल और नागपुर के डॉक्टरों की टीम ने संगीत के प्रभावों का अध्ययन किया तो पाया कि ड्यूटी के दौरान दिल के दौरे पड़ने के मामलों में संगीत ने ब्रेक का काम किया। जिन पुलिस थानों और अनियत समय तक काम करने वाले विभागों में मानसिक समस्या बढ़ रही थी, वहां संगीत का उपयोग काफी असरदार साबित हुआ है। |
Saturday, 7 April 2012
मध्यप्रदेश सरकार ने अन्य देशों के धार्मिक स्थानों के भ्रमण के लिए अनुदान योजना का विस्तार किया है। चीन और पाकिस्तान के बाद
श्रीलंका और कम्बोडिया स्थित मंदिरों की तीर्थ यात्रा पर जाने वाले मध्यप्रदेश के नागरिकों को भी यात्रा व्यय का आधा खर्च अधिकतम 30 हजार रूपए तक
राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छह वर्ष पूर्व प्रदेशवासियों के कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए आर्थिक सहायता की योजना प्रारंभ करने की पहल की थी। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा पात्र व्यक्तियों को तीर्थ यात्रा के पश्चात 60 दिन की अवधि में खर्च का ब्यौरा देते हुए दावा प्रस्तुत करना होता है। योजना के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को उसके जीवन काल में सिर्फ एक बार यह अनुदान लेने की पात्रता है। निगम ने कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए 113 नागरिकों को अनुदान मंजूर किया है। राज्य के वही अनुदान राशि प्राप्त करने के पात्र होते है जिनका चयन भारत सरकार द्वारा यात्रा के लिए किया गया हो। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2007-08 से पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर एवं ननकाना साहेब की यात्रा के लिए भी अनुदान देने का प्रावधान किया है।
सीता मंदिर (श्रीलंका) और अंकोरवाट मंदिर (कम्बोडिया) जाने वाले यात्रियों को अनुदान प्राप्त करने के लिए प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम
भोपाल को आवेदन करना होगा। निगम द्वारा अभिलेखों की जाँच के बाद अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रमुख सचिव धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने इस संबंध में नियम एवं निर्देश जारी किए गए हैं। अनुदान का लाभ लेने के लिए इन दोनों देशों के मंदिरों की यात्रा पूरी करने के पश्चात 60 दिन में निर्धारित प्रपत्र में प्रमाणित अभिलेख पेश करने होंगे।
Wednesday, 28 March 2012
ॐ साईं राम
किसी भी रूप में आ सकते हैं भगवान्
आज २५ दिसंबर श्री साईं बाबा की जयंती का पर्व है, और आज साईं बाबा का हर एक मंदिर पुष्पों से सुसज्जित है, सजाबट देखते ही बनती है/ और हो भी क्यूँ न हर वर्ग के लोगों की साईं बाबा में गहरी आस्था जो है, क्योंकि साईं बाबा सर्व धर्म को में विश्वाश रखने वाले देव हैं/ हालांकि साईं बाबा के के धर्म के बारे में लोगों को ज्यादा तो नहीं पता की वो हिन्दू थे या मुसलमान, पर इसके पीछे एक बहुत ही प्यारी कहानी प्रचलित है/
ऐसा माना जाता है की किसी गाँव में एक मस्जिद थी वहीँ पर साईं बाबा अपना जीवन व्यतीत करते थे, उसी निवास पर एक हिन्दू व्यक्ति रहता था, जिसकी साईं बाबा में अटूट आस्था थी, वह उनकी सेवा और दर्शन करने प्रतिदिन उसी मस्जिद में जाता था, वो व्यक्ति जब तक भोजन नहीं करता था जब तक वह साईं बाबा के दर्शन न कर ले/ लेकिन साईं बाबा भी बड़े दयालु किस्म के इंसान थे वो किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुचाना चाहते थे, तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए साईं बाबा अपने उस भक्त से बोले, तुम मुझे बहुत मानते हो न, और इसी लिए रोज मेरे दर्शन को आते हो, तो अब मैं चाहता हु की कल से तुम यहाँ आना छोड़ दो क्योंकि कल से मैं खुद तुम्हे दर्शन देने आऊंगा/ दुसरे दिन वो भक्त आया और बोला हे प्रभु आप कल मुझे दर्शन देने क्यूँ नहीं आये कल मैंने भोजन भी नहीं किया इस कारण, साईं राम बोले की मैं कल आया था लेकिन तुम मुझे पहचान ही नहीं पाए, देखो सबसे पहले एक भिखारी को तुमने अपने दरवाजे से फटकार दिया , उसके बाद एक बूढी औरत को तुमने भगाया था, फिर एक कुत्ते को तुमने डंडे से मार कर भगा दिया था/ वो तीनो में ही था तुम मुझे पहचान ही नहीं पाए, तब उस भक्त ने पश्चाताप किया और बोला की सच में भगवान् किसी भी रूप में आ सकते हैं/
किसी भी रूप में आ सकते हैं भगवान्
आज २५ दिसंबर श्री साईं बाबा की जयंती का पर्व है, और आज साईं बाबा का हर एक मंदिर पुष्पों से सुसज्जित है, सजाबट देखते ही बनती है/ और हो भी क्यूँ न हर वर्ग के लोगों की साईं बाबा में गहरी आस्था जो है, क्योंकि साईं बाबा सर्व धर्म को में विश्वाश रखने वाले देव हैं/ हालांकि साईं बाबा के के धर्म के बारे में लोगों को ज्यादा तो नहीं पता की वो हिन्दू थे या मुसलमान, पर इसके पीछे एक बहुत ही प्यारी कहानी प्रचलित है/
ऐसा माना जाता है की किसी गाँव में एक मस्जिद थी वहीँ पर साईं बाबा अपना जीवन व्यतीत करते थे, उसी निवास पर एक हिन्दू व्यक्ति रहता था, जिसकी साईं बाबा में अटूट आस्था थी, वह उनकी सेवा और दर्शन करने प्रतिदिन उसी मस्जिद में जाता था, वो व्यक्ति जब तक भोजन नहीं करता था जब तक वह साईं बाबा के दर्शन न कर ले/ लेकिन साईं बाबा भी बड़े दयालु किस्म के इंसान थे वो किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुचाना चाहते थे, तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए साईं बाबा अपने उस भक्त से बोले, तुम मुझे बहुत मानते हो न, और इसी लिए रोज मेरे दर्शन को आते हो, तो अब मैं चाहता हु की कल से तुम यहाँ आना छोड़ दो क्योंकि कल से मैं खुद तुम्हे दर्शन देने आऊंगा/ दुसरे दिन वो भक्त आया और बोला हे प्रभु आप कल मुझे दर्शन देने क्यूँ नहीं आये कल मैंने भोजन भी नहीं किया इस कारण, साईं राम बोले की मैं कल आया था लेकिन तुम मुझे पहचान ही नहीं पाए, देखो सबसे पहले एक भिखारी को तुमने अपने दरवाजे से फटकार दिया , उसके बाद एक बूढी औरत को तुमने भगाया था, फिर एक कुत्ते को तुमने डंडे से मार कर भगा दिया था/ वो तीनो में ही था तुम मुझे पहचान ही नहीं पाए, तब उस भक्त ने पश्चाताप किया और बोला की सच में भगवान् किसी भी रूप में आ सकते हैं/
Friday, 23 March 2012
बंगाल टाइगर्स के हाथों से फिसला एशिया कप
कल का दिन बंगलादेश और पाकिस्तान के रहनुमाओं के लिए बहुत ही ख़ास था, क्योंकि कल उन दोनों देशो की टीम के बीच एशिया कप को लेकर खिताबी भिंडत जो होने वाली थी/ और दोनों ही देश के दर्शको में बड़ा ही जोश और उत्साह देखते बन रहा था/ एक तरफ थी पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम जो एक बार पहले ही एशिया कप जीत चुकी थी, वहीँ दूसरी तरफ थी बंगलादेश जिसे इस एशिया कप के दौरान कहीं भी कमजोर मानना उचित नहीं, क्योंकि वो पहले ही इंडिया जैसी धाकड़ टीम को हरा चुकी थी उसके बाद उसने श्री लंका को भी चित किया, जिसके दम पर वो फाइनल में पहुची, उस फाइनल मैच से पहले हर बंगलादेशी के चेहरे पर जीत की उम्मीद थी, लेकिन उस वक़्त किसी को नहीं पता था की किस्मत किसका साथ देगी/
वरहाल उस मैच में शुरुआत दोनों टीम्स की बेहतर रही, इसमें कोई दो राय नहीं की दोनों ही के बेट्समेन और बौलर्स ने उम्दा प्रदर्शन किया, मगर बारी आई मैच के अंतिम छड़ों की जब बंगलादेश ने २३६ रन के स्कोर बड़े शानदार तरीके से पीछा किया, लेकिन टर्निंग पॉइंट शाकिब अल हसन और मशरफ मुर्तजा के आउट होने के बाद आया क्योंकि इन दोनों के आउट होने से रन रेट बढता चला गया और आखिरी ओवर में बंगलादेश को जीत के लिए सिर्फ ९ रन चाहिए थे लेकिन बंगलादेशी खिलाडी मात्र ६ रन ले पाए और मैच बंगलादेश के हाथों से छूट चूका था, और ये क्या बांग्लादेशी कप्तान की आँखों से आंसू की धारा बहने लगी, भाई ये तो बहुत ही बुरा हुआ की बंगलादेश को पहली बार फाइनल का टिकेट मिला और वो उस मौके को भुना नहीं पाए/
वाकई ये कप तो बंगलादेश को ही जीतना था क्योंकि वो उसकी हक़दार था क्योंकि जिस तरह का प्रदर्शन उसके खिलाडियों ने पूरे टूर्नामेंट में किया वो वाकई काबिले तारीफ़ था, और वहीँ इस कप को इंडिया ५ बार, श्री लंका ४ बार और पाकिस्तान २ बार जीत ही चुकें हैं, तो एक जीत तो बाग्लादेश को भी मिलनी चाहिए/ खैर अवसर अभी आगे भी आते रहेंगे बस टीम को अपने प्रदर्शन में और निखार लाना होगा क्योंकि एशिया का कोई भी देश हो क्रिकेट का जूनून सभी पर हावी है और इसी कारण एशिया में प्रतिभा की कमी नहीं और खासकर बंगलादेश जो कुछ मौकों पर दर्शको को चौकाती रही रही है/ फिलहाल तो बस यही कहा जा सकता है की मानना पड़ेगा बंगलादेश में दम है/
कल का दिन बंगलादेश और पाकिस्तान के रहनुमाओं के लिए बहुत ही ख़ास था, क्योंकि कल उन दोनों देशो की टीम के बीच एशिया कप को लेकर खिताबी भिंडत जो होने वाली थी/ और दोनों ही देश के दर्शको में बड़ा ही जोश और उत्साह देखते बन रहा था/ एक तरफ थी पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम जो एक बार पहले ही एशिया कप जीत चुकी थी, वहीँ दूसरी तरफ थी बंगलादेश जिसे इस एशिया कप के दौरान कहीं भी कमजोर मानना उचित नहीं, क्योंकि वो पहले ही इंडिया जैसी धाकड़ टीम को हरा चुकी थी उसके बाद उसने श्री लंका को भी चित किया, जिसके दम पर वो फाइनल में पहुची, उस फाइनल मैच से पहले हर बंगलादेशी के चेहरे पर जीत की उम्मीद थी, लेकिन उस वक़्त किसी को नहीं पता था की किस्मत किसका साथ देगी/
वरहाल उस मैच में शुरुआत दोनों टीम्स की बेहतर रही, इसमें कोई दो राय नहीं की दोनों ही के बेट्समेन और बौलर्स ने उम्दा प्रदर्शन किया, मगर बारी आई मैच के अंतिम छड़ों की जब बंगलादेश ने २३६ रन के स्कोर बड़े शानदार तरीके से पीछा किया, लेकिन टर्निंग पॉइंट शाकिब अल हसन और मशरफ मुर्तजा के आउट होने के बाद आया क्योंकि इन दोनों के आउट होने से रन रेट बढता चला गया और आखिरी ओवर में बंगलादेश को जीत के लिए सिर्फ ९ रन चाहिए थे लेकिन बंगलादेशी खिलाडी मात्र ६ रन ले पाए और मैच बंगलादेश के हाथों से छूट चूका था, और ये क्या बांग्लादेशी कप्तान की आँखों से आंसू की धारा बहने लगी, भाई ये तो बहुत ही बुरा हुआ की बंगलादेश को पहली बार फाइनल का टिकेट मिला और वो उस मौके को भुना नहीं पाए/
वाकई ये कप तो बंगलादेश को ही जीतना था क्योंकि वो उसकी हक़दार था क्योंकि जिस तरह का प्रदर्शन उसके खिलाडियों ने पूरे टूर्नामेंट में किया वो वाकई काबिले तारीफ़ था, और वहीँ इस कप को इंडिया ५ बार, श्री लंका ४ बार और पाकिस्तान २ बार जीत ही चुकें हैं, तो एक जीत तो बाग्लादेश को भी मिलनी चाहिए/ खैर अवसर अभी आगे भी आते रहेंगे बस टीम को अपने प्रदर्शन में और निखार लाना होगा क्योंकि एशिया का कोई भी देश हो क्रिकेट का जूनून सभी पर हावी है और इसी कारण एशिया में प्रतिभा की कमी नहीं और खासकर बंगलादेश जो कुछ मौकों पर दर्शको को चौकाती रही रही है/ फिलहाल तो बस यही कहा जा सकता है की मानना पड़ेगा बंगलादेश में दम है/
Thursday, 22 March 2012
बजट ने काटी हर वर्ग के लोगों की जेब
महंगा सस्ता
होटल में ठहरना ब्रांडेड चांदी
अभी फिलहाल में २०१२-१३ का बजट पेश हुआ, हमारे माननीय वित्त मंत्री प्रणब जी का मानना है की ये बजट सर्वजन के हित को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, लेकिन अगर जनता के दृष्टीकोन से देखा जाये तो ये हित में कम हित विरोधी ज्यादा नजर आता है, क्योंकि इस बजट में लगभग उन सभी चीजो के दाम बड़े है, जिन्हें आज के युग की सुख सुविधाओ के रूप में जरूरी समझा जाता है/ फ़िलहाल एक रिपोर्ट पेश करते है-
महंगा सस्ता
होटल में ठहरना ब्रांडेड चांदी
ब्रांडेड कपडे उर्वरक
एयर कंडीशनर ऊनी कपडे
सोना रेशमी कपड़े
कंप्यूटर मोबाइल
आइये अब एक नजर डालते हैं महंगे हुए सामानों पर, तो शुरुआत करते है कंप्यूटर से जो आज के दौर में शिक्षा के लिए बहुत जरूरी उपकरण हो गया है, क्योंकि आज के तकनीकी युग में बच्चों की पढाई से लेकर ओफिसिअल वर्क भी कंप्यूटर पर ही किये जाते है और अगर ये महंगा हो जयेगा तो इसे खरीदना मतलब जेब पर अधिक दबाब डालने जैसा है/
अगर बात करें एयर कंडीशनर की तो ये भी एक महत्तपूर्ण उपकरण हो गया है जो पहले से ही महंगा था और ऊपर से बिजली अधिक खाता है अगर ये महंगा होता है, तो खरीदने से पहले दस बार नहीं पचास बार सोचना पड़ेगा/
अब आते है ब्रांडेड कपड़ो पर जो नए बजट के अनुसार महंगे होने वाले है यानी ब्रांडेड शब्द को हटा दिया जाए तो शब्द बचता है कपड़े, यानी सीधी सी बात है की ब्रांडेड के नाम पर कपड़ो का दाम बढेगा/ तो कहना थोडा बचकाना लगता है की बजट सर्व हित है/
अब आते है सोने पर जहाँ एक तरफ पहले भारत में सोने की कोई कमी नहीं थी, वहीं अब हालत ये हैं की अगर किसी के पास थोडा सा सोना होता है तो उसे अमीर समझा जाता है, लेकिन अगर इसका भी दाम बढ़ जायेगा तो उन लोगों का क्या होगा जो पायी पायी जुटाकर कर अपनी बेटियों की शादी के लिए सोना जोड़ते हैं, उनका तो मानो खरीदना ही बंद हो जायेगा/
अब आते हैं सस्ती हुई चीजों पर माना की मोबाइल सस्ते हुए हैं, लेकिन इससे लोगो को ख़ास फर्क नहीं पड़ने वाल क्यूंकि मोब. वैसे भी हर एक पास है, अगर ये सस्ता होता है तो लोग इससे फ़ालतू में खरीद कर पैसा बर्बाद करेंगे, खासकर किशोर उम्र के बच्चे/
हाँ ब्रांडेड चांदी की खरीद में थोड़ी राहत जरूर मिलेगी, लेकिन चांदी से ज्यादा लोग सोने को तब्बजो देते हैं/ लेकिन ये चांदी लोगों की दैनिक वास्तु में नै आती तो इससे कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा/
अब बचते हैं ऊनी और रेशमी कपडे इसे केबल सस्ते का नाम दिया गया है जबकि ये महंगा ही रहेगा, क्योंकि कुछ लोग ध्यान ही नहीं दे पाते है की कपडा सस्ता हो गया है, और इसी चीज का दुकानदार फायदा जरूर उठा सकते हैं, न की उपभोक्ता/
अगर ध्यान दिया जाए तो कुछ भी सस्ता न होकर लगभग महंगा ही हो गया है/
अगर बात करें एयर कंडीशनर की तो ये भी एक महत्तपूर्ण उपकरण हो गया है जो पहले से ही महंगा था और ऊपर से बिजली अधिक खाता है अगर ये महंगा होता है, तो खरीदने से पहले दस बार नहीं पचास बार सोचना पड़ेगा/
अब आते है ब्रांडेड कपड़ो पर जो नए बजट के अनुसार महंगे होने वाले है यानी ब्रांडेड शब्द को हटा दिया जाए तो शब्द बचता है कपड़े, यानी सीधी सी बात है की ब्रांडेड के नाम पर कपड़ो का दाम बढेगा/ तो कहना थोडा बचकाना लगता है की बजट सर्व हित है/
अब आते है सोने पर जहाँ एक तरफ पहले भारत में सोने की कोई कमी नहीं थी, वहीं अब हालत ये हैं की अगर किसी के पास थोडा सा सोना होता है तो उसे अमीर समझा जाता है, लेकिन अगर इसका भी दाम बढ़ जायेगा तो उन लोगों का क्या होगा जो पायी पायी जुटाकर कर अपनी बेटियों की शादी के लिए सोना जोड़ते हैं, उनका तो मानो खरीदना ही बंद हो जायेगा/
अब आते हैं सस्ती हुई चीजों पर माना की मोबाइल सस्ते हुए हैं, लेकिन इससे लोगो को ख़ास फर्क नहीं पड़ने वाल क्यूंकि मोब. वैसे भी हर एक पास है, अगर ये सस्ता होता है तो लोग इससे फ़ालतू में खरीद कर पैसा बर्बाद करेंगे, खासकर किशोर उम्र के बच्चे/
हाँ ब्रांडेड चांदी की खरीद में थोड़ी राहत जरूर मिलेगी, लेकिन चांदी से ज्यादा लोग सोने को तब्बजो देते हैं/ लेकिन ये चांदी लोगों की दैनिक वास्तु में नै आती तो इससे कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा/
अब बचते हैं ऊनी और रेशमी कपडे इसे केबल सस्ते का नाम दिया गया है जबकि ये महंगा ही रहेगा, क्योंकि कुछ लोग ध्यान ही नहीं दे पाते है की कपडा सस्ता हो गया है, और इसी चीज का दुकानदार फायदा जरूर उठा सकते हैं, न की उपभोक्ता/
अगर ध्यान दिया जाए तो कुछ भी सस्ता न होकर लगभग महंगा ही हो गया है/
Tuesday, 20 March 2012
आखिर पूरा हुआ सचिन का महाशतक
आखिर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को मिल ही गया जो सचिन से उन्हें उम्मीद थी, जी हाँ यहाँ बात हो रही मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की जिन्होंने अपना महाशतक यानि १००/१०० का आंकड़ा १६ मार्च २०१२ बंगलादेश के खिलाफ पूरा किया/ इस महाशतक का इन्तेजार न केबल सचिन को ही था बल्कि सभी भारतीयों को भी था / वाकई मानना पड़ेगा की अगर क्रिकेट की कोई परिभाषा है तो वो है सचिन,आज के दौर में बहुत से बड़े बड़े धुरंधर क्रिकेटर हैं लेकिन वो ज्यादा दिनों तक कामयाब नहीं रहते, लेकिन वहीँ सचिन जो लगभग ४० की उम्र में वही जोश के साथ खेलते हैं जैसा की कोई युवा खेल रहा हो/ उनके खेल को देखते समय मानो आँखें थम सी जाती हैं/ वाकई सचिन ने जो चाहा वो उन्हें मिलता ही जा रहा है पहले उन्हें इंडिया को वर्ल्ड कप जिताने का ख्वाब देखा था वो पूरा हुआ, अब महाशतक वो भी थोड़े इन्तेजार के बाद पूरा हो ही गया/ और एक खूबी सचिन की है की उनका औसत बहुत बेहतरीन है, रनों की तो मानो बारिश लगातार जारी है वो भी बेहतरीन फॉर्म के साथ /
जब सचिन ने १९८९ में खेलना शुरू किया तब वो एक स्कूली बच्चे लगते थे, लेकिन किसी को भी नहीं पता था की ये बच्चा आगे क्या कमाल करेगा, और अब तक तो उनके साथ करियर की शुरुआत करने वाले क्रिकेटर रिटायरमेंट ले चुके है, क्योंकि उनका खेल ढल चुका था/ एक खासियत और है सचिन की वो जब भी कोई कामयाबी हासिल करते है तो बल्ले और सिर को ऊपर उठाकर अपने पिता को समर्पित करते हैं/ उनके खेल में शालीनता बहुत है वो मैदान में शारीरिक गर्मी नहीं दिखाते बल्कि गेंदबाजों को बल्ले से जवाब देते हैं, ये उनकी महानता को दर्शाता है जो शायद ही आज के किसी क्रिकेटर में देखने को मिले/ और तो और उनकी इस महानता के कायल विदेशी भी हैं/
Wednesday, 14 March 2012
उत्तर प्रदेश की नयी सरकार का वेरोजगारी भत्ता
उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार भारी बहुमत से विजय प्राप्त की/ साथ ही साथ कई महत्तपूर्ण लाभकारी घोषणाएं भी की है, उनमे से एक है 'वेरोजगारी भत्ता' ये भत्ता उन वेरोजगार युवको को हर माह १००० के रूप में मिलेगा/ लेकिन इस भत्ते को पाने के लिए उत्तर प्रदेश के हर जिले के सेवायोजन कार्यालय में अपार भीड़ लगी हुई है, हर वर्ग का व्यक्ति अपने आपको वेरोजगार साबित कर रहा है, इस चक्कर में उन लोगों का इस भत्ते से वंचित रह जाने की संभावना है जिन्हें वास्तव में इसकी जरुरत है/ लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है, की नयी सरकार ने प्रयास किया वो तारीफ़ के काबिल है/ लेकिन अगर माननीय मुख्यमंत्री युवाओं को उत्तर प्रदेश में रोजगार के लिए कुछ प्रयास करें तो वो इससे कहीं वेहतर होगा, क्योंकि भत्ता मिलने की वजह से कुछ लोग मेहनत से मुह मोड़ लेंगे तो वहीं दूसरी ओर अगर रोजगार के अवसर बढेंगे तो युवक मेहनत करके पैसे कमा सकता है, और वो राशि भत्ते की राशि से कहीं अधिक होगी/ जाहिर सी बात है अगर लोग महनत करेंगे तो प्रदेश की तरक्की के साथ साथ देश का भी विकास होगा, जैसा की विहार जैसा राज्य जहाँ बहुत पिछड़ापन था लेकिन नीतीश कुमार के शासन में बिहार ने काफी तरक्की की है और उत्तर प्रदेश के नागरिक भी इसी तरह के विकास की उम्मीद में है वशर्ते गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार न हो और सभी नागरिकों को मिलकर आगे बढना होगा चाहे वो किसी भी समुदाय का हो/
उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार भारी बहुमत से विजय प्राप्त की/ साथ ही साथ कई महत्तपूर्ण लाभकारी घोषणाएं भी की है, उनमे से एक है 'वेरोजगारी भत्ता' ये भत्ता उन वेरोजगार युवको को हर माह १००० के रूप में मिलेगा/ लेकिन इस भत्ते को पाने के लिए उत्तर प्रदेश के हर जिले के सेवायोजन कार्यालय में अपार भीड़ लगी हुई है, हर वर्ग का व्यक्ति अपने आपको वेरोजगार साबित कर रहा है, इस चक्कर में उन लोगों का इस भत्ते से वंचित रह जाने की संभावना है जिन्हें वास्तव में इसकी जरुरत है/ लेकिन इसका दूसरा पहलू ये भी है, की नयी सरकार ने प्रयास किया वो तारीफ़ के काबिल है/ लेकिन अगर माननीय मुख्यमंत्री युवाओं को उत्तर प्रदेश में रोजगार के लिए कुछ प्रयास करें तो वो इससे कहीं वेहतर होगा, क्योंकि भत्ता मिलने की वजह से कुछ लोग मेहनत से मुह मोड़ लेंगे तो वहीं दूसरी ओर अगर रोजगार के अवसर बढेंगे तो युवक मेहनत करके पैसे कमा सकता है, और वो राशि भत्ते की राशि से कहीं अधिक होगी/ जाहिर सी बात है अगर लोग महनत करेंगे तो प्रदेश की तरक्की के साथ साथ देश का भी विकास होगा, जैसा की विहार जैसा राज्य जहाँ बहुत पिछड़ापन था लेकिन नीतीश कुमार के शासन में बिहार ने काफी तरक्की की है और उत्तर प्रदेश के नागरिक भी इसी तरह के विकास की उम्मीद में है वशर्ते गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार न हो और सभी नागरिकों को मिलकर आगे बढना होगा चाहे वो किसी भी समुदाय का हो/
Tuesday, 13 March 2012
घर में की शानदार वापसी
आखिर जीत ही गयी टीम इंडिया, ये तो होना ही था एशिया की धाकड़ टीम जो है/ जो विदेश में जाके नाक कटाती है और घर में आके फिर से शेर हो जाती है/ लेकिन भारतीय दर्शकों को ये विदेशी जमी पर न खेल पाने वाली कमजोरी से विल्कुल लगाव नहीं/ अगर अपने आपको साबित करना है तो विदेशी पिचों पर जीत कर दिखाएँ/ पिछले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जो हश्र टीम का हुआ है उससे दर्शकों में काफी निराशा का माहौल है/ अब देखना ये दिलचस्प होगा की एशिया कप में इंडिया क्या कमाल कर पाती है/ कल का पहला मैच बड़े शानदार तरीके से जीत लिया लेकिन ये कॉम्पटीशन इतना आसान नहीं क्योंकि एशिया की दो दिग्गज टीम पाकिस्तान और श्री लंका जो मैदान में है और ये दोनों ही टीम्स बेहतर फॉर्म में है और इनको आसानी से नहीं हराया जा सकता और हमारा चिर प्रतिद्वंदी है पाकिस्तान वो तो हर हाल में भारत को हराना चाहेगा/ लेकिन कल के मैच में बौलर्स ने जो प्रदर्शन किया है उससे थोड़ी सी तो उम्मीद जायज है/
आखिर जीत ही गयी टीम इंडिया, ये तो होना ही था एशिया की धाकड़ टीम जो है/ जो विदेश में जाके नाक कटाती है और घर में आके फिर से शेर हो जाती है/ लेकिन भारतीय दर्शकों को ये विदेशी जमी पर न खेल पाने वाली कमजोरी से विल्कुल लगाव नहीं/ अगर अपने आपको साबित करना है तो विदेशी पिचों पर जीत कर दिखाएँ/ पिछले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जो हश्र टीम का हुआ है उससे दर्शकों में काफी निराशा का माहौल है/ अब देखना ये दिलचस्प होगा की एशिया कप में इंडिया क्या कमाल कर पाती है/ कल का पहला मैच बड़े शानदार तरीके से जीत लिया लेकिन ये कॉम्पटीशन इतना आसान नहीं क्योंकि एशिया की दो दिग्गज टीम पाकिस्तान और श्री लंका जो मैदान में है और ये दोनों ही टीम्स बेहतर फॉर्म में है और इनको आसानी से नहीं हराया जा सकता और हमारा चिर प्रतिद्वंदी है पाकिस्तान वो तो हर हाल में भारत को हराना चाहेगा/ लेकिन कल के मैच में बौलर्स ने जो प्रदर्शन किया है उससे थोड़ी सी तो उम्मीद जायज है/
Monday, 12 March 2012
गंदगी का भार सहती गंगा मैया
गंगा नदी हिन्दुओं की सबसे पवित्र नदी है ये न केबल एक नदी है बल्कि हिन्दू शास्त्रों में इन्हें माता का स्थान दिया है यही नहीं वैज्ञानिक प्रमाण में भी इसका पानी शुद्ध माना गया है/ लेकिन आज का सच ये है की आबादी बढ़ने के साथ साथ प्रदुषण भी बढ़ रहा है और इस प्रदुषण का शिकार हो रही है ये नदिया, प्रदुषण की वजह से पानी अशुद्ध होता जा रहा है इससे अनेक प्रकार की विमारियों का खतरा है/ तो हर नागरिक का कर्त्तव्य है की वो इस तरह के प्रदुषण को अपने स्तर से रोक लगाने की कोशिश करें/
गंगा नदी हिन्दुओं की सबसे पवित्र नदी है ये न केबल एक नदी है बल्कि हिन्दू शास्त्रों में इन्हें माता का स्थान दिया है यही नहीं वैज्ञानिक प्रमाण में भी इसका पानी शुद्ध माना गया है/ लेकिन आज का सच ये है की आबादी बढ़ने के साथ साथ प्रदुषण भी बढ़ रहा है और इस प्रदुषण का शिकार हो रही है ये नदिया, प्रदुषण की वजह से पानी अशुद्ध होता जा रहा है इससे अनेक प्रकार की विमारियों का खतरा है/ तो हर नागरिक का कर्त्तव्य है की वो इस तरह के प्रदुषण को अपने स्तर से रोक लगाने की कोशिश करें/
पत्रकारों पर हो रहे हमलों की बढ रही है तादाद
हाल में राजस्थान के जोधपुर जिले में मीडिया वालों पर लोगों ने हमले किये/ यह वारदात बिलकुल माफ़ी के लायक नहीं है/ हुआ यु की कुछ पत्रकार वहां भंवरी देवी काण्ड की पूर्ण जानकारी जुटाने गए थे और इतने में उन पर जान लेवा हमला बोल दिया गया/ इस मामले में पोलिस बिभाग मूकदर्शक बना रह गया/ इससे साफ़ ज़ाहिर है की भ्रष्ट लोग मीडिया से दुश्मनी मान लेते है/ और तो और इस तरह के हमलो को रोकने की वजाए केंद्र सरकार मीडिया पर बंदिशों का बोझ डालना चाहती है, जबकि प्रेस की आज़ादी पर हमले का मतलव प्रजातंत्र पर हमला है/ इस बात से तमाम राजनेता और सियासी पार्टियाँ बाकिफ हैं/
अगर इस तरह की घटनाएं बहुत ही निंदनीय हैं/
हाल में राजस्थान के जोधपुर जिले में मीडिया वालों पर लोगों ने हमले किये/ यह वारदात बिलकुल माफ़ी के लायक नहीं है/ हुआ यु की कुछ पत्रकार वहां भंवरी देवी काण्ड की पूर्ण जानकारी जुटाने गए थे और इतने में उन पर जान लेवा हमला बोल दिया गया/ इस मामले में पोलिस बिभाग मूकदर्शक बना रह गया/ इससे साफ़ ज़ाहिर है की भ्रष्ट लोग मीडिया से दुश्मनी मान लेते है/ और तो और इस तरह के हमलो को रोकने की वजाए केंद्र सरकार मीडिया पर बंदिशों का बोझ डालना चाहती है, जबकि प्रेस की आज़ादी पर हमले का मतलव प्रजातंत्र पर हमला है/ इस बात से तमाम राजनेता और सियासी पार्टियाँ बाकिफ हैं/
अगर इस तरह की घटनाएं बहुत ही निंदनीय हैं/
Sunday, 11 March 2012
ओबामा प्रशासन में दो और भारतियों की नियुक्ति
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने प्रशासन में भारतीय मूल के दो और नागरिकों को नियुक्त किया है/ गंगोध्याय जिन्होंने इंदौर से शिक्षा प्राप्त की उनको नेशनल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी साइंसेज बोर्ड का सदस्य बनाया गया है/ वही दूसरे हैं सनी रामास्वामी जो बंगलौर से शिक्षा प्राप्त है उन्हें फ़ूड एंड एग्रीकल्चर का निदेशक बनाया गया/
इन दोनो की नियुक्ति से साफ़ है की अमेरिका भारत से अपने सम्बन्ध और मजबूत करना चाहता है/ वैसे भी ओबामा भारतीय महापुरुषों से काफी प्रभाबित है, खासकर गाँधी जी/ वे गाँधी जी की तरह अहिंसा से आगे बढने की बात करते है लेकिन ऐसा बहुत ही मुश्किल नजर आता है क्योंकि अमेरिका अपनी ताकत के नशे में जो चूर है/ और वो बाकी देश जो विकासशील हैं उन्हें वो अपने कहने में चलाना चाहता है क्योंकि यूं एस ए. विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जो है और वहीँ उसके पास हथियारों का जखीरा जो है/
फ़िलहाल में उसने इरान पर दबाब बनाया की वो परमाणु हथियार में बढ़ोतरी न करे वरना ओबामा प्रशासन उसके समर्थन नहीं करेगा, लेकिन इरान ने भी करार जबाब देते हुए कहा की अगर ओबामा प्रशासन ज्यादा उछलेगा तो उसको तेल का निर्यात बंद कर दिया जाएगा/ लेकिन अब वो समय आ गया है की एक हाथ लो और दुसरे हाथ दो,और अब विकासशील देश भी अपनी सेन्य शक्ति में बढोतरी कर रहे हैं उनमे से प्रमुख है चाइना और भारत, ये दोनों ही उभरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ साथ सेन्य शक्ति के रूप में भी उभर रहीं है/ तो इस बात से साफ़ है की कोई देश अब किसी से पीछे रहना नहीं चाहता/
फ़िलहाल में उसने इरान पर दबाब बनाया की वो परमाणु हथियार में बढ़ोतरी न करे वरना ओबामा प्रशासन उसके समर्थन नहीं करेगा, लेकिन इरान ने भी करार जबाब देते हुए कहा की अगर ओबामा प्रशासन ज्यादा उछलेगा तो उसको तेल का निर्यात बंद कर दिया जाएगा/ लेकिन अब वो समय आ गया है की एक हाथ लो और दुसरे हाथ दो,और अब विकासशील देश भी अपनी सेन्य शक्ति में बढोतरी कर रहे हैं उनमे से प्रमुख है चाइना और भारत, ये दोनों ही उभरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ साथ सेन्य शक्ति के रूप में भी उभर रहीं है/ तो इस बात से साफ़ है की कोई देश अब किसी से पीछे रहना नहीं चाहता/
कॉमेडी के क्षेत्र में उभरता हुआ आगरा का कलाकार
जीतू शिवहरे, एक ऐसा नाम जिसे आगरा के ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं, लेकिन अगर बात की जाए गद्दा प्रसाद की तो हर कोई बता सकता है की वो सब टीवी पर प्रसारित 'चिड़ियाघर' में एक अहम् रोल निभा रहा है? जी हाँ! अगर शहर के ताजगंज गल्ला मंडी में रहने वाले जीतू शिवहरे ने कुछ साल पहले एक्टिंग करने की ठानी और इसी ख्वाब के चलते पहुच गए मुंबई/ इनके प्रेरणा श्रोत थे किशोर कुमार, ये उन्ही की तरह एक्टिंग करना चाहते थे, मकसद सिर्फ अपनी एक्टिंग से लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर करना/ जीतू की लाइफ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब टीवी सीरिअल ऑफिस-ऑफिस के लेखक आसवानी धीर से मिले और राम खिलावन का एक रोल प्ले किया/ सबसे ज्यादा प्रसिद्धि इन्हें सब टीवी पर प्रसारित चिड़िया घर के गद्दा प्रसाद के किरदार से मिली, जो आज हर वर्ग के लोगों की पसंद बन चुका है/ हालांकि जीतू ने ऋतिक रोशन पर फिल्माई गयी अग्निपथ में पुरानी अग्निपथ वाले टीनू आनंद का किरदार निभाया है/ एक समय ये भी था की जब ऑफिस-ऑफिस में काम करने के एवज में मात्र ४०० रुपये मिलते थे लेकिन अब काम का अच्छा खासा पेमेंट मिल रहा है/
अब वो समय गुजर गया जब कलाकार केबल मुंबई में ही मिलते थे/ अब तो हर छोटे बड़े शहरों में प्रतिभाओ की कमी नहीं बस जरुरत है सही मार्गदर्शन की/
जीतू शिवहरे, एक ऐसा नाम जिसे आगरा के ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं, लेकिन अगर बात की जाए गद्दा प्रसाद की तो हर कोई बता सकता है की वो सब टीवी पर प्रसारित 'चिड़ियाघर' में एक अहम् रोल निभा रहा है? जी हाँ! अगर शहर के ताजगंज गल्ला मंडी में रहने वाले जीतू शिवहरे ने कुछ साल पहले एक्टिंग करने की ठानी और इसी ख्वाब के चलते पहुच गए मुंबई/ इनके प्रेरणा श्रोत थे किशोर कुमार, ये उन्ही की तरह एक्टिंग करना चाहते थे, मकसद सिर्फ अपनी एक्टिंग से लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर करना/ जीतू की लाइफ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब टीवी सीरिअल ऑफिस-ऑफिस के लेखक आसवानी धीर से मिले और राम खिलावन का एक रोल प्ले किया/ सबसे ज्यादा प्रसिद्धि इन्हें सब टीवी पर प्रसारित चिड़िया घर के गद्दा प्रसाद के किरदार से मिली, जो आज हर वर्ग के लोगों की पसंद बन चुका है/ हालांकि जीतू ने ऋतिक रोशन पर फिल्माई गयी अग्निपथ में पुरानी अग्निपथ वाले टीनू आनंद का किरदार निभाया है/ एक समय ये भी था की जब ऑफिस-ऑफिस में काम करने के एवज में मात्र ४०० रुपये मिलते थे लेकिन अब काम का अच्छा खासा पेमेंट मिल रहा है/
अब वो समय गुजर गया जब कलाकार केबल मुंबई में ही मिलते थे/ अब तो हर छोटे बड़े शहरों में प्रतिभाओ की कमी नहीं बस जरुरत है सही मार्गदर्शन की/
Saturday, 10 March 2012
समाज से दूरी बढाती सोसल नेटवर्किंग साइट्स ; आज का युग टेक्नोलोजी का युग है और विकसित देशो के साथ- साथ विकासशील देश भी टेक्नोलोजी के मामले में विकास कर रहे है/ इसी विकास के चलते इन्टरनेट का प्रयोग न केवल जानकारी प्राप्त करने तक सीमित रह गया है , बल्कि इन्टरनेट पर आज बहुत सी अलग चीजे भी मिल जाती है/ वही इस कड़ी में नाम आता है फेसबुक का/इस पर न केवल युवा वर्ग व्यस्त है वल्कि हर उम्र का व्यक्ती मिल जाएगा/ माना की हम फेसबुक से अपना सर्कल बड़ा सकते हैं लेकिन इसके चक्कर में हम अपने उन दोस्तों पर ध्यान नहीं दे पाते जो हमारी कालोनी ओर ऑफिस के दोस्त हैं / लेकिन एक सच ये भी है की फेसबुक पर जो हमें दोस्त मिलते हैं उनके बारे में हमें केबल उतनी ही जानकारी होती है जितनी की वो हमें देते हैं और कुछ लोग तो फेक नाम से हमसे दोस्ती करते हैं/ और एक सर्वे में सिद्ध भी हो चुका है इससे तनाव बढता है/ तो हम क्यूँ फ़ालतू का तनाव अपने सर पर ले रहे और वो भी उनके लिए जिन्हें हम जानते तक नहीं
सोचिये जरा!
अपनी सोसाइटी से इतनी दूरी न बनाये की कल को कोई काम पड़ने पर वो साथ न दे सके
सोचिये जरा!
अपनी सोसाइटी से इतनी दूरी न बनाये की कल को कोई काम पड़ने पर वो साथ न दे सके
भारतीय संगीत की बदलती परिभाषा
आज के दौर में भारतीय संगीत पूरी तरह बदल गया है, गानों के बोल ऐसे है मानो अश्लीलता मुफ्त में बांटी जा रही हो और अगर इन सबका असर किसी को पढ रहा है तो वो है युवा पीढ़ी. आखिर इस तरह के अश्लील गानों को दिखाकर फ़िल्मकार और संगीतकार क्या साबित करना चाहते हैं? कहीं ये केबल युवाओ को थिएटर की तरफ आकर्षित करने का एकमात्र ज़रिया तो नहीं बन गया, अगर ऐसा है तो इन फिल्मकारों और संगीतकारों को भारतीय फिल्मो के इतिहास से रूबरू होने की सख्त जरुरत है/ ५० के दशक में राज कपूर साहब की फिल्मे और मुकेश जी की आवाज न केबल दर्शको आकर्षित करती थी, बल्कि उन्हें गाने के बोललो से प्रेरित करने का भी काम बखूबी किया जाता था/ लेकिन आज के दौर में सिर्फ कमाई होनी चाहिए/ क्या शीला की जवानी युवाओं को रोजगार दिलाएगी, या मुन्नी की बदनामी सम्मान बढाएगी या फिर चिकनी चमेली पौवा पिलाकर तरक्की की राह दिखाएगी/
ये अब युवाओं को सोचना है की उन्हें क्या करना चाहिए/
आज के दौर में भारतीय संगीत पूरी तरह बदल गया है, गानों के बोल ऐसे है मानो अश्लीलता मुफ्त में बांटी जा रही हो और अगर इन सबका असर किसी को पढ रहा है तो वो है युवा पीढ़ी. आखिर इस तरह के अश्लील गानों को दिखाकर फ़िल्मकार और संगीतकार क्या साबित करना चाहते हैं? कहीं ये केबल युवाओ को थिएटर की तरफ आकर्षित करने का एकमात्र ज़रिया तो नहीं बन गया, अगर ऐसा है तो इन फिल्मकारों और संगीतकारों को भारतीय फिल्मो के इतिहास से रूबरू होने की सख्त जरुरत है/ ५० के दशक में राज कपूर साहब की फिल्मे और मुकेश जी की आवाज न केबल दर्शको आकर्षित करती थी, बल्कि उन्हें गाने के बोललो से प्रेरित करने का भी काम बखूबी किया जाता था/ लेकिन आज के दौर में सिर्फ कमाई होनी चाहिए/ क्या शीला की जवानी युवाओं को रोजगार दिलाएगी, या मुन्नी की बदनामी सम्मान बढाएगी या फिर चिकनी चमेली पौवा पिलाकर तरक्की की राह दिखाएगी/
ये अब युवाओं को सोचना है की उन्हें क्या करना चाहिए/
The 'Wall' has fallen down-
There is no any doubt, Rahul Dravid is a great cricketer in the world. he is the wall of Indian cricket team, but he has taken retirement from the all formates of cricket, now the interesting fact is that who will take the responsibility of the middle order in test matches. He has played 164 test matches and made 13228 runs with the average of 52 and he holds a world record to take 210 catches as a cricketer in test matches. whatever he has done, it is in the favor of Indian cricket team, because the young cricketers should get chance to play for India. India have so many talented youth cricketer like Manoj Tiwari, Ridhiman Shah, Shaurabh Tiwari etc. They can play very well and they have shown their talent in 1st class cricket, so chance to youth it will be good for Indian cricket.
There is no any doubt, Rahul Dravid is a great cricketer in the world. he is the wall of Indian cricket team, but he has taken retirement from the all formates of cricket, now the interesting fact is that who will take the responsibility of the middle order in test matches. He has played 164 test matches and made 13228 runs with the average of 52 and he holds a world record to take 210 catches as a cricketer in test matches. whatever he has done, it is in the favor of Indian cricket team, because the young cricketers should get chance to play for India. India have so many talented youth cricketer like Manoj Tiwari, Ridhiman Shah, Shaurabh Tiwari etc. They can play very well and they have shown their talent in 1st class cricket, so chance to youth it will be good for Indian cricket.
Friday, 9 March 2012
अतिथि देवो भव
भारत एक ऐसा देश है, जहाँ अतिथि को भगवान की तरह आदर सत्कार दिया जाता है और साथ ही साथ सेवा भी की जाती है/ यहाँ की मिटटी इतनी प्रभावी है की जो भी यहाँ एक बार आता है यहीं का होके रह जाता है, फिर चाहे वो किसी भी सुख सुबिधाओ से परिपूर्ण देश से ही क्यूँ न आया हो/ यहाँ की संस्कृति अपने आर में ही अनूठी है/ यहाँ के लोग भी नदियों को माता कह के बुलाते हैं और तो और धर्म भी ऐसे है जिससे की पत्थरों को भी भगवान का दर्जा दिया जाता है/ फिर क्यूँ कोई विदेशी आकर्षित न हो ? इसका जीता जागता उदहारण मथुरा वृन्दावन के मंदिरों में देखा जा सकता है , जहाँ विदेश से आये हुए श्रद्धालु भगवान् की सेवा में लगे हुए है/ लेकिन अगर आतिथ्य में कमी देखी जा रही तो वे हैं यहाँ के स्मारक, जहाँ पर विदेशी सैलानिओं के साथ ठग, बदतमीजी और छेड़छाड़ की जाती है, जिससे अतिथिओं को शारीरिक कष्ट के साथ मानशिक कष्ट भी मिलता है / इससे न केबल देश की छवि खराब हो रही है, वल्कि इसी डर की वजह से कुछ पर्यटक यहाँ आने से कतराते हैं और इसके कारण पर्यटन विभाग के लाभ को भी प्रभाव पड रहा है/ अगर इस तरह के कृत्यों को रोकना है तो जनता को आगे आना होगा, मतलब की अगर कोई लपका किसी विदेशी को परेशान करता नजर आये तो फ़ौरन पोलिस को सूचित करे ताकि इस तरह की घटनाओ पर रोक लग सके/
धन्यबाद, जय हिंद जय भारत
Friday, 3 February 2012
किशोर कुमार
असली नाम- आभाष कुमार कांजीलाल गांगुली
जन्म - ०४ अगस्त १९२९, खंडवा
म्रत्यु -१३ अक्टूबर १९८७ बॉम्बे
पेशा -गायक, अभिनेता , निर्देशक ,संगीतकार ,निर्माता
सक्रिय -१९४६-१९८७
किशोर कुमार ७० के दशक में बहुत ही सफल गायक थे , भले ही उनका करियर १९४६ में आई फिल्म बॉम्बे टाल्कीस से एक छोटे से गायक के रूप में करी थी, इसमें उनके भाई अशोक कुमार ने मदद की थी. उस समय किशोर कुमार अपने आपको सफल बनाने में नाकाम रहे, क्योंकि वो कलाकार और गायक के रूप में ५० के दशक में सफलता हासिल नहीं कर पाए उसका ये भी एक कारण ये भी था की वो दौर राज कपूर और दिलीप कुमार का था और राज कपूर के लिए मुकेश आवाज दिया करते थे और दिलीप कुमार के लिए रफ़ी साहब देते थे तो इस कारण किशोर को उस समय के संगीत कार ज्यादा तबज्जो नहीं देते थे.
लेकिन किशोर भी कहाँ पीछे रहने वाले थे उन्होंने देव साहब की फिल्म मुनीमजी १९५४ में गाने का मौका मिला इसके बाद किशोर कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा क्यों की वो देव साहव की आवाज़ के रूप में में पहचानने लगे . उन्होंने ज्वेल थीफ, गाइड , प्रेम पुजारी के गानों में अपनी आवाज़ से मशहूर बना दिया. फिर तो बात आई ७० के दशक की जब उनके एक से एक बेहतरीन गाने आये उन्होंने राजेश खन्ना,अमिताभ बच्चन , संजीव कुमार , ऋषि कपूर के लिए अपनी प्यारी आवाज़ दी. ७० के दौर में मानो उन्ही की टूटी बोल रही थी.
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