ऐसे बढ़ रहा है बिजली के बिल का बोझ
देशभर में केबल टीवी सेवा का 2014 तक डिजिटलीकरण करने का लक्ष्य कहीं देश
और खुद आपके ऊपर भारी न पड़ जाएं। दरअसल, डिजिटलीकरण के तहत घरों में लगने
वाले सेट टॉप बॉक्स काफी अधिक बिजली की खपत करते हैं।
इससे न सिर्फ आपके घर का बिजली का बिल बढ़ता है, बल्कि देश पर बिजली का बोझ भी बढ़ता है। यह खपत तब और बढ़ जाती है जब टीवी कंपनियों से लेकर डीटीएच और केबल ऑपरेटर ग्राहकों को टीवी चालू नहीं होने पर भी सेट टॉप बॉक्स का स्विच चालू रखने (स्टैंड बाई मोड) की सलाह देते है। डिजिटलीकरण के इस छिपे नुकसान को देखते हुए बिजली क्षेत्र से जुड़े संगठन सरकार से ग्राहकों को जागरूक करने की अपील कर रहे हैं। नेशनल रिसॉर्स डिफेंस काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार सेट टॉप बॉक्स को जब चालू किया जाता है तो वह शुरू होने में कुछ समय लेता है। वहीं जब बॉक्स स्टैंड बाई मोड में होता है तब इसके अंदरूनी पार्ट्स जैसे ड्राइव्स, ट्यूनर्स आदि चालू रहते हैं, जो काफी बिजली की खपत करते है। दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड के पूर्व निदेशक बीपी दत्ता ने कहा कि यह बिजली की खपत नहीं है, बल्कि क्षति है, क्योंकि इसमें बिजली का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसेंसी यानी बीईई भी यही बात कहती है। अनुमान के अनुसार देश के चार महानगरों में डेढ़ करोड़ घरों में लगे सेट टॉप बॉक्स सालाना 90 करोड़ यूनिट अतिरिक्त बिजली की खपत करते हैं। माना गया है कि ये सेट टॉप बॉक्स दिन में 16 घंटे चालू या फिर स्टैंड बाई मोड में रहते हैं। इसका मतलब हुआ कि इन डेढ़ करोड़ बॉक्सों को चलाने में देश पर अतिरिक्त 150 मेगावाट बिजली का बोझ पड़ेगा। देश भर में डिजिटलीकरण लागू होने के बाद बॉक्स की संख्या लगभग 14 करोड़ हो जाएगी और तब बिजली की खपत कई गुणा बढ़ जाएगी। बीपी दत्ता कहते हैं कि अगर बिजली की बर्बादी को रोकना है तो ग्राहकों को जागरूक करना होगा कि अगर आप बॉक्स को ऑन रखेंगे तो बिजली का बिल ज्यादा आएगा। इसके लिए सरकार को भी जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। |
Thursday, 12 April 2012
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