कॉमेडी के क्षेत्र में उभरता हुआ आगरा का कलाकार
जीतू शिवहरे, एक ऐसा नाम जिसे आगरा के ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं, लेकिन अगर बात की जाए गद्दा प्रसाद की तो हर कोई बता सकता है की वो सब टीवी पर प्रसारित 'चिड़ियाघर' में एक अहम् रोल निभा रहा है? जी हाँ! अगर शहर के ताजगंज गल्ला मंडी में रहने वाले जीतू शिवहरे ने कुछ साल पहले एक्टिंग करने की ठानी और इसी ख्वाब के चलते पहुच गए मुंबई/ इनके प्रेरणा श्रोत थे किशोर कुमार, ये उन्ही की तरह एक्टिंग करना चाहते थे, मकसद सिर्फ अपनी एक्टिंग से लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर करना/ जीतू की लाइफ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब टीवी सीरिअल ऑफिस-ऑफिस के लेखक आसवानी धीर से मिले और राम खिलावन का एक रोल प्ले किया/ सबसे ज्यादा प्रसिद्धि इन्हें सब टीवी पर प्रसारित चिड़िया घर के गद्दा प्रसाद के किरदार से मिली, जो आज हर वर्ग के लोगों की पसंद बन चुका है/ हालांकि जीतू ने ऋतिक रोशन पर फिल्माई गयी अग्निपथ में पुरानी अग्निपथ वाले टीनू आनंद का किरदार निभाया है/ एक समय ये भी था की जब ऑफिस-ऑफिस में काम करने के एवज में मात्र ४०० रुपये मिलते थे लेकिन अब काम का अच्छा खासा पेमेंट मिल रहा है/
अब वो समय गुजर गया जब कलाकार केबल मुंबई में ही मिलते थे/ अब तो हर छोटे बड़े शहरों में प्रतिभाओ की कमी नहीं बस जरुरत है सही मार्गदर्शन की/
जीतू शिवहरे, एक ऐसा नाम जिसे आगरा के ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं, लेकिन अगर बात की जाए गद्दा प्रसाद की तो हर कोई बता सकता है की वो सब टीवी पर प्रसारित 'चिड़ियाघर' में एक अहम् रोल निभा रहा है? जी हाँ! अगर शहर के ताजगंज गल्ला मंडी में रहने वाले जीतू शिवहरे ने कुछ साल पहले एक्टिंग करने की ठानी और इसी ख्वाब के चलते पहुच गए मुंबई/ इनके प्रेरणा श्रोत थे किशोर कुमार, ये उन्ही की तरह एक्टिंग करना चाहते थे, मकसद सिर्फ अपनी एक्टिंग से लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर करना/ जीतू की लाइफ में टर्निंग पॉइंट तब आया जब टीवी सीरिअल ऑफिस-ऑफिस के लेखक आसवानी धीर से मिले और राम खिलावन का एक रोल प्ले किया/ सबसे ज्यादा प्रसिद्धि इन्हें सब टीवी पर प्रसारित चिड़िया घर के गद्दा प्रसाद के किरदार से मिली, जो आज हर वर्ग के लोगों की पसंद बन चुका है/ हालांकि जीतू ने ऋतिक रोशन पर फिल्माई गयी अग्निपथ में पुरानी अग्निपथ वाले टीनू आनंद का किरदार निभाया है/ एक समय ये भी था की जब ऑफिस-ऑफिस में काम करने के एवज में मात्र ४०० रुपये मिलते थे लेकिन अब काम का अच्छा खासा पेमेंट मिल रहा है/
अब वो समय गुजर गया जब कलाकार केबल मुंबई में ही मिलते थे/ अब तो हर छोटे बड़े शहरों में प्रतिभाओ की कमी नहीं बस जरुरत है सही मार्गदर्शन की/
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