अतिथि देवो भव
भारत एक ऐसा देश है, जहाँ अतिथि को भगवान की तरह आदर सत्कार दिया जाता है और साथ ही साथ सेवा भी की जाती है/ यहाँ की मिटटी इतनी प्रभावी है की जो भी यहाँ एक बार आता है यहीं का होके रह जाता है, फिर चाहे वो किसी भी सुख सुबिधाओ से परिपूर्ण देश से ही क्यूँ न आया हो/ यहाँ की संस्कृति अपने आर में ही अनूठी है/ यहाँ के लोग भी नदियों को माता कह के बुलाते हैं और तो और धर्म भी ऐसे है जिससे की पत्थरों को भी भगवान का दर्जा दिया जाता है/ फिर क्यूँ कोई विदेशी आकर्षित न हो ? इसका जीता जागता उदहारण मथुरा वृन्दावन के मंदिरों में देखा जा सकता है , जहाँ विदेश से आये हुए श्रद्धालु भगवान् की सेवा में लगे हुए है/ लेकिन अगर आतिथ्य में कमी देखी जा रही तो वे हैं यहाँ के स्मारक, जहाँ पर विदेशी सैलानिओं के साथ ठग, बदतमीजी और छेड़छाड़ की जाती है, जिससे अतिथिओं को शारीरिक कष्ट के साथ मानशिक कष्ट भी मिलता है / इससे न केबल देश की छवि खराब हो रही है, वल्कि इसी डर की वजह से कुछ पर्यटक यहाँ आने से कतराते हैं और इसके कारण पर्यटन विभाग के लाभ को भी प्रभाव पड रहा है/ अगर इस तरह के कृत्यों को रोकना है तो जनता को आगे आना होगा, मतलब की अगर कोई लपका किसी विदेशी को परेशान करता नजर आये तो फ़ौरन पोलिस को सूचित करे ताकि इस तरह की घटनाओ पर रोक लग सके/
धन्यबाद, जय हिंद जय भारत
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