Thursday, 12 April 2012


 ऐसे बढ़ रहा है बिजली के बिल का बोझ 



देशभर में केबल टीवी सेवा का 2014 तक डिजिटलीकरण करने का लक्ष्य कहीं देश और खुद आपके ऊपर भारी न पड़ जाएं। दरअसल, डिजिटलीकरण के तहत घरों में लगने वाले सेट टॉप बॉक्स काफी अधिक  बिजली की खपत करते हैं।

इससे न सिर्फ आपके घर का बिजली का बिल बढ़ता है, बल्कि देश पर बिजली का बोझ भी बढ़ता है। यह खपत तब और बढ़ जाती है जब टीवी कंपनियों से लेकर डीटीएच और केबल ऑपरेटर ग्राहकों को टीवी चालू नहीं होने पर भी सेट टॉप बॉक्स का स्विच चालू रखने (स्टैंड बाई मोड) की सलाह देते है।

डिजिटलीकरण के इस छिपे नुकसान को देखते हुए बिजली क्षेत्र से जुड़े संगठन सरकार से ग्राहकों को जागरूक करने की अपील कर रहे हैं। नेशनल रिसॉर्स डिफेंस काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार सेट टॉप बॉक्स को जब चालू किया जाता है तो वह शुरू होने में कुछ समय लेता है। वहीं जब बॉक्स स्टैंड बाई मोड में होता है तब इसके अंदरूनी पार्ट्स जैसे ड्राइव्स, ट्यूनर्स आदि चालू रहते हैं, जो काफी बिजली की खपत करते है।

दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड के पूर्व निदेशक बीपी दत्ता ने कहा कि यह बिजली की खपत नहीं है, बल्कि क्षति है, क्योंकि इसमें बिजली का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसेंसी यानी बीईई भी यही बात कहती है। अनुमान के अनुसार देश के चार महानगरों में डेढ़ करोड़ घरों में लगे सेट टॉप बॉक्स सालाना 90 करोड़ यूनिट अतिरिक्त बिजली की खपत करते हैं। माना गया है कि ये सेट टॉप बॉक्स दिन में 16 घंटे चालू या फिर स्टैंड बाई मोड में रहते हैं।

इसका मतलब हुआ कि इन डेढ़ करोड़ बॉक्सों को चलाने में देश पर अतिरिक्त 150 मेगावाट बिजली का बोझ पड़ेगा। देश भर में डिजिटलीकरण लागू होने के बाद बॉक्स की संख्या लगभग 14 करोड़ हो जाएगी और तब बिजली की खपत कई गुणा बढ़ जाएगी।

बीपी दत्ता कहते हैं कि अगर बिजली की बर्बादी को रोकना है तो ग्राहकों को जागरूक करना होगा कि अगर आप बॉक्स को ऑन रखेंगे तो बिजली का बिल ज्यादा आएगा। इसके लिए सरकार को भी जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

   ‘पुरुष’ सुंदरी के लिए खुले मिस यूनिवर्स के दरवाजे


Open door to Miss Universe for born men beauty




मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के आयोजकों को आखिरकार अपने नियमों में परिवर्तन करना पड़ा है। इस बदलाव के बाद कनाडाई सुंदरी जेना तलाकोवा 2013 की मिस यूनिवर्स कनाडा प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगी। पिछले हफ्ते आयोजकों ने तलाकोवा को प्रतियोगिता में भाग लेने की इजाजत देने से इंकार कर दिया था, इस पर हंगामा हुआ।

असल में 23 वर्षीया तलाकोवा का जन्म एक पुरुष के रूप में हुआ था, लेकिन चार साल पहले वह लिंग परिवर्तन चिकित्सा के द्वारा युवती बन गई थीं। तलाकोवा ने आयोजकों के इंकार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा था कि उनके पास कनाडा का पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस है, जिसमें उन्हें महिला बताया गया है। ऐसे में आयोजक कैसे उन्हें महिलाओं की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रोक सकते हैं?

आयोजकों का तर्क था कि नियमानुसार ‘प्राकृतिक रूप से जन्मी’ लड़कियां ही प्रतियोगिता में भाग ले सकती हैं। इस विवाद में दुनिया भर के समलैंगिक संगठनों से मिस यूनिवर्स के आयोजकों का जोरदार विरोध किया। अंतत: आयोजक झुके और नियम बदला। इसके बाद अब 2013 से मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता वे ‘ट्रांसजेंडर’ मुकाबले में उतर सकेंगी, जो लिंग परिवर्तन के बाद पुरुष से महिलाएं बनी हैं। ट्रांसजेंडर सुंदरियां कई वर्षों से इस नियम में बदलाव की मांग कर रही थीं।

प्रतियोगिता में भाग लेने की जिद पर अड़ी तलाकोवा कहना था कि मैं मुकाबले में हिस्सा लेना चाहती हूं। अपनी विशेष स्थिति के लिए मैं किसी प्रकार की छूट नहीं मांग रही हूं। सौंदर्य के जो पैमाने सबके लिए होंगे, वे मेरे लिए भी होंगे।



        अब  17 पिछड़ी जातियां बन जाएँगी अनुसूचित 
यू पी में सपा की सरकार बनते ही महत्वपूर्ण फैसले लेना शुरू कर कर दिए है, और हो भी क्यूँ न क्यूंकि मुख्यमंत्री युवा अखिलेश जो है, लेकिन हर फैसला सब के हित में नहीं हो सकता है, किसी को ख़ुशी तो किसी को निराशा हाथ लगती है/

यू पी में भी फिलहाल एक मुद्दे पर विचार चल रहा है, और वो मुद्दा है पिछड़ी जातियों को अनुसूचित में शामिल करना/ वो जातियां हैं, कहार, कश्यप, केवट, निषाद, बिन्द, भर, प्रजापति,राजभर, बाथम, गौर, तुरा, माझी, मल्लाह, कुम्हार,धीमर और मछुआ/  हाँ ये एक ऐसा मुद्दा है जहाँ न्याय करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अगर हम बात करें पिछड़ी जातियों की तो इनकी संख्या लगभग ७६ है और आरक्षण 27 % है, वहीँ दूसरी ओर अनुसूचित जातियां उसमे भी लगभग 65  जातियां है और आरक्षण है 22.5 % तो अगर बात की जाए यू पी सरकार के फैसले की तो पिछड़ी 76 जातियों में से 17 निकलकर अनुसूचित में जाती है तो पिछड़ी में बचती है 59, तो इसका मतलब पहले से अब पिछड़े बर्ग को नौकरी में थोड़ी कम प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी, वहीँ अगर बात करें अनुसूचित  की 65 जातिओं में 17 जोड़ दी जाये तो होती हैं 82 मतलब साफ़ है अब प्रतिस्पर्धा का ग्राफ बाद जाएगा, और अनुसूचित जातियों में भी तनाव की स्तिथि बन्ने की संभवना है/ 

आखिर कब तक जातियां आरक्षण के लिए लड़ती रहेंगी, जबकि जातिबाद का श्रेय जाता है,  हमारे देश की बढती हुई जनसँख्या को, क्योंकि जनसँख्या का भार बढता ही जा रहा है, और लोगों में अभी भी जागरूकता का आभाव है, और जागरूकता तभी आ सकती है जब इसके लिए शिक्षा को बढावा दिया जाए क्योंकि आज भी लगभग 67 % जनसँख्या गाँव में निवास करती है और वहां लोगों में इतनी जागरूकता नहीं है, वहां एक - एक परिवार में काफी बच्चे होते है और जाहिर सी बात है की इंसान किसी न किसी जाती से तो संबध तो रखता ही है, और फिर बात आती है, उनकी शिक्षा से लेकर नौकरी तक में आरक्षण की तो, मतलब साफ़ है की लोगों को अपने से सुधार शुरू करना होगा वरना आने वाले समय में पार्को में घुमने और शौचालय उपयोग करने के लिए भी आरक्षण की जरूरत पड़ेगी/

Tuesday, 10 April 2012

अब यूं पी बोर्ड के छात्र पा   सकेंगे 90 से 95 % अंक

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् ने एक बहुत ही लाभकारी घोषणा की है, उसके अंतर्गत अब यूं पी बोर्ड के बच्चे भी पा सकेंगे अन्य बोर्ड के बच्चो जितने अंक / इस योजना में जो मूल्यांकन  व्यवस्था है उसमे थोडा परिवर्तन किया गया है, क्योंकि गणित एक ऐसा विषय है उसमे बच्चे शत प्रतिशत अंक प्राप्त कर सकते है, और अगर छात्र ने महनत की तो उसे इसका अधिकार भी है/ ऐसा ही अन्य विषयों के मूल्यांकन  में पारदर्शिता लायी जाएगी जिससे की प्रतिभावान छात्र को ऐसा न लगे की उसे महनत के अनुकूल अंक नहीं मिले है/

पिछले कुछ वर्षों से यू पी बोर्ड के छात्रों का प्रतिशत सीमित ही चला आ रहा है, जिसके कारण छात्र छात्राओं को प्रवेश से लेकर नौकरी तक में बहुत दुबिधाओं का सामना करना पड़ता है/ इस प्रस्ताव से यू पी बोर्ड और अन्य बोर्ड्स के बीच जो एक असमानता व्याप्त थी , वो लगभग पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी, और रही बात इंग्लिश जैसे विषय की तो वो टाइम गुजर गया जब यू पी बोर्ड के छात्र इंग्लिश से कतराते थे, यहाँ तक की हर तरह की नौकरी में यू पी बोर्ड के छात्रो का बोलबाला है/
प्रतिशत में सुधार होने की वजह से छात्रो में कुंठा, द्वेष की भावना नहीं रहेगी, इससे उनके मानसिक स्तिथि में भी काफी सुधार होने की आशा है/ 

Monday, 9 April 2012

संगीत से होगा उपचार

Music Sanjivani
             जटिल रोगों की तकलीफ या रोग से ही निजात पाने के लिए गीत संगीत एक कारगर उपचार सिद्ध होने वाला है। बंगलुरू के स्वामी सच्चिदानंद मूर्ति का कहना है कि कुछ राग या रागों का मिश्रण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, अस्थमा और इसी तरह के जटिल रोगों में अचूक उपचार साबित हो रहे हैं। स्वामीजी ने अपने केंद्र में विभिन्न रोगों के लिए कुछ संगीत रचनाएं तैयार कीं और उन्हें जरुरतमंदों तक पहुंचाया भी है।

स्वामीजी का कहना है कि संगीत का सेवन प्रत्यक्ष रूप में अर्थात् साज और गायकी के जरिए किया जाए तो बेहतर है। न हों तो कैसेट सीडी आदि इलेक्ट्रानिक उपकरणों का भी सहारा लिया जा सकता है। इन उपकरणों के नतीजे बहुत अच्छे तो नहीं निकलेंगे क्योंकि खुद किए गए अभ्यास में अपना पूरा अस्तित्व लगता है।

जीभ, तालु, होंठ, कंठ आदि अंगों की सक्रियता शरीर में जो प्रभाव उत्पन्न करती है, वह यांत्रिक संगीत से नहीं हो पाती। लेकिन उससे भी संगीत का थोड़ा बहुत उपचारात्मक प्रभाव तो होता ही है। इधर स्वास्थ्य विज्ञानियों और चिकित्सकों ने भी संगीत की उपचार क्षमता की पुष्टि की है।

राजधानी स्थित बॉडी माइंड क्लिनिक पिछले छह महीनों से संगीत चिकित्सा शुरू हुई है। क्लिनिक के प्रमुख व होलिस्टिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ आर के तुली के अनुसार इस पद्धति का रोगियों पर चमत्कारिक असर हुआ है। संगीत चिकित्सा मेटाबॉलिज्म को तेज करती है, उससे मांसपेशियों की ऊर्जा बढ़ाती है।

भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी संगीत की उपचार क्षमता पर कई अध्ययन अनुसंधान हो रहे हैं। मुंबई के एक अस्पताल और नागपुर के डॉक्टरों की टीम ने संगीत के प्रभावों का अध्ययन किया तो पाया कि ड्यूटी के दौरान दिल के दौरे पड़ने के मामलों में संगीत ने ब्रेक का काम किया। जिन पुलिस थानों और अनियत समय तक काम करने वाले विभागों में मानसिक समस्या बढ़ रही थी, वहां संगीत का उपयोग काफी असरदार साबित हुआ है।

 

Saturday, 7 April 2012


      अब कम खर्च में मध्य प्रदेश के श्रद्धालु करेंगे विदेशी मंदिरों का भ्रमण

मध्यप्रदेश सरकार ने अन्य देशों के धार्मिक स्थानों के भ्रमण के लिए अनुदान योजना का विस्तार किया है। चीन और पाकिस्तान के बाद
श्रीलंका और कम्बोडिया स्थित मंदिरों की तीर्थ यात्रा पर जाने वाले मध्यप्रदेश के नागरिकों को भी यात्रा व्यय का आधा खर्च अधिकतम 30 हजार रूपए तक
राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छह वर्ष पूर्व प्रदेशवासियों के कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए आर्थिक सहायता की योजना प्रारंभ करने की पहल की थी। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा पात्र व्यक्तियों को तीर्थ यात्रा के पश्चात 60 दिन की अवधि में खर्च का ब्यौरा देते हुए दावा प्रस्तुत करना होता है। योजना के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को उसके जीवन काल में सिर्फ एक बार यह अनुदान लेने की पात्रता है। निगम ने कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए 113 नागरिकों को अनुदान मंजूर किया है। राज्य के वही अनुदान राशि प्राप्त करने के पात्र होते है जिनका चयन भारत सरकार द्वारा यात्रा के लिए किया गया हो। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2007-08 से पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर एवं ननकाना साहेब की यात्रा के लिए भी अनुदान देने का प्रावधान किया है।

सीता मंदिर (श्रीलंका) और अंकोरवाट मंदिर (कम्बोडिया) जाने वाले यात्रियों को अनुदान प्राप्त करने के लिए प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम
भोपाल को आवेदन करना होगा। निगम द्वारा अभिलेखों की जाँच के बाद अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रमुख सचिव धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने इस संबंध में नियम एवं निर्देश जारी किए गए हैं। अनुदान का लाभ लेने के लिए इन दोनों देशों के मंदिरों की यात्रा पूरी करने के पश्चात 60 दिन में निर्धारित प्रपत्र में प्रमाणित अभिलेख पेश करने होंगे।

Wednesday, 28 March 2012

                                             ॐ साईं राम
            किसी भी रूप में आ सकते हैं भगवान्
आज २५ दिसंबर श्री साईं बाबा की जयंती का पर्व है, और आज साईं बाबा का हर एक मंदिर पुष्पों से सुसज्जित है, सजाबट  देखते ही बनती है/ और हो भी क्यूँ न हर वर्ग के लोगों की साईं बाबा में गहरी आस्था जो है, क्योंकि साईं बाबा सर्व धर्म को में विश्वाश रखने वाले देव हैं/ हालांकि साईं बाबा के के धर्म के बारे में लोगों को ज्यादा तो नहीं पता की वो हिन्दू थे या मुसलमान, पर इसके पीछे एक बहुत ही प्यारी कहानी प्रचलित है/

ऐसा माना जाता है की किसी गाँव में एक मस्जिद थी वहीँ पर साईं बाबा अपना जीवन व्यतीत करते थे, उसी निवास पर एक हिन्दू व्यक्ति रहता था, जिसकी साईं बाबा में अटूट आस्था थी, वह उनकी सेवा और दर्शन करने प्रतिदिन उसी मस्जिद में जाता था, वो व्यक्ति जब तक भोजन नहीं करता था जब तक वह साईं बाबा के दर्शन न कर ले/ लेकिन साईं बाबा भी बड़े दयालु किस्म के इंसान थे वो किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुचाना चाहते थे, तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए साईं बाबा अपने उस भक्त से बोले, तुम मुझे बहुत मानते हो न, और इसी लिए रोज मेरे दर्शन को आते हो, तो अब मैं चाहता हु की कल से तुम यहाँ आना छोड़ दो क्योंकि कल से मैं खुद तुम्हे दर्शन देने आऊंगा/ दुसरे दिन वो भक्त आया और बोला हे प्रभु आप कल मुझे दर्शन देने क्यूँ नहीं आये कल मैंने भोजन भी नहीं किया इस कारण, साईं राम बोले की मैं कल आया था लेकिन तुम मुझे पहचान ही नहीं पाए, देखो सबसे पहले एक भिखारी को तुमने अपने दरवाजे से फटकार दिया , उसके बाद एक बूढी औरत को तुमने भगाया था, फिर एक कुत्ते को तुमने डंडे से मार कर भगा दिया था/ वो तीनो में ही था तुम मुझे पहचान ही नहीं पाए, तब उस भक्त ने पश्चाताप किया और बोला की सच में भगवान् किसी भी  रूप में आ सकते हैं/