Saturday 10 March 2012

                   भारतीय संगीत की बदलती परिभाषा
आज के दौर में भारतीय संगीत पूरी  तरह बदल गया है, गानों के बोल ऐसे है मानो अश्लीलता मुफ्त में बांटी जा रही हो और अगर इन सबका असर किसी को पढ  रहा है तो वो है युवा पीढ़ी. आखिर इस तरह के अश्लील गानों को दिखाकर फ़िल्मकार और संगीतकार क्या साबित करना चाहते हैं? कहीं ये केबल युवाओ को थिएटर  की तरफ आकर्षित करने का एकमात्र ज़रिया तो नहीं बन गया, अगर ऐसा है तो इन फिल्मकारों और संगीतकारों को भारतीय फिल्मो के इतिहास से रूबरू होने की सख्त जरुरत है/ ५० के दशक में राज कपूर साहब की फिल्मे और मुकेश जी की आवाज न केबल दर्शको आकर्षित करती थी, बल्कि उन्हें गाने के बोललो से प्रेरित  करने का भी काम बखूबी किया जाता था/ लेकिन आज के दौर में सिर्फ कमाई  होनी चाहिए/ क्या शीला की जवानी युवाओं को रोजगार दिलाएगी, या मुन्नी की बदनामी सम्मान बढाएगी या फिर चिकनी चमेली पौवा पिलाकर तरक्की  की राह दिखाएगी/ 
ये अब युवाओं को सोचना है की उन्हें क्या करना चाहिए/

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